
अनंत चतुर्दशी – भगवान विष्णु की अनंत शक्ति का पर्व
अनंत चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा और सम्मान के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है, जो गणेश उत्सव के अंतिम दिन के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन को गणपति विसर्जन और अनंत पूजा दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
अनंत चतुर्दशी का महत्व
अनंत चतुर्दशी का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु की अनंत शक्ति की उपासना करना है। “अनंत” का अर्थ है असीम या अंतहीन, और यह भगवान विष्णु के अनंत और अविनाशी स्वरूप का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन में समृद्धि, सुख, और शांति प्राप्त होती है। साथ ही, अनंत चतुर्दशी व्रत जीवन के दुखों और कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है।
अनंत चतुर्दशी की कथा
इस पर्व से जुड़ी प्रमुख कथा के अनुसार, जब युधिष्ठिर को अपने राज्य में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तब भगवान कृष्ण ने उन्हें अनंत चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी। इस व्रत के फलस्वरूप युधिष्ठिर को राज्य की समस्याओं से मुक्ति मिली और उनके राज्य में शांति और समृद्धि का वास हुआ। इस कथा से यह संदेश मिलता है कि भगवान विष्णु की भक्ति और अनंत चतुर्दशी का व्रत व्यक्ति के जीवन से सभी कष्टों को दूर करता है।
अनंत चतुर्दशी का व्रत और पूजा विधि
अनंत चतुर्दशी के दिन लोग व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की अनंत सूत्र के साथ पूजा करते हैं। पूजा में भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर के सामने धूप, दीप, फूल, और अनंत सूत्र चढ़ाया जाता है। पूजा के बाद, एक विशेष प्रकार का धागा जिसे अनंत धागा कहा जाता है, पुरुष अपनी दाहिनी कलाई और महिलाएं बाईं कलाई पर बांधती हैं। इस धागे में 14 गांठें होती हैं, जो 14 लोकों का प्रतीक होती हैं।
गणपति विसर्जन
अनंत चतुर्दशी को गणेश उत्सव का अंतिम दिन भी माना जाता है, जब लोग अपने घरों और सार्वजनिक पंडालों में स्थापित गणपति की मूर्तियों का विसर्जन करते हैं। विसर्जन के साथ भक्त गणपति बप्पा से अगले वर्ष फिर से आने का आशीर्वाद मांगते हैं। इस अवसर पर बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ गणपति विसर्जन की शोभायात्रा निकाली जाती है।
अनंत चतुर्दशी का आधुनिक महत्त्व
आज के समय में भी अनंत चतुर्दशी का महत्त्व वैसा ही बना हुआ है। यह पर्व न केवल भगवान विष्णु की अनंत शक्ति की उपासना का प्रतीक है, बल्कि जीवन के हर पहलू में सकारात्मकता, शक्ति, और धैर्य को प्रकट करने का संदेश देता है। साथ ही, यह पर्व हमें हमारे धर्म और संस्कृति की गहरी जड़ों से जोड़े रखता है।
अनंत चतुर्दशी का पर्व भगवान विष्णु की अनंतता और महानता का प्रतीक है, जो भक्तों को उनके जीवन में आशीर्वाद, समृद्धि और सुख प्रदान करता है। गणपति विसर्जन के साथ यह पर्व आध्यात्मिकता और भक्ति का मिलाजुला रूप प्रस्तुत करता है, जिसे हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।